
नागरिकता संशोधन क़ानून लागू
लोक सभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार देश भर में नागरिकता संशोधन क़ानून CCA लागू कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी की, जिसके साथ यह क़ानून प्रभावी हो गया।
क़ानून बनने के चार साल 2 महीने के लंबे इंतज़ार के बाद इसे लागू किये जाने के साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान से आए बिना दस्तावेज़ वाले अल्पसंख्यक ग़ैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है।
गृह मंत्री अमित शहा ने हाल में एक रैली में कहा था कि CCA देश का क़ानून इसे लागू होने से कोई नहीं रोक सकता।
केंद्र सरकार अब तीन देशों 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित ग़ैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देना शुरू कर देगी। इन गैरमुस्लिमों में हिंदू, सिख,पारसी, ईसाइ व बौद्ध शामिल हैं। हालाँकि असम के कार्बी आंगलांग समेत 3 आदिवासी बहुल ज़िलों को (सी सी ए) से बाहर रखा गया है।
इन ज़िलों के आदिवासियों का कहना है कि यदि उनके इलाक़े में बांग्लादेश से आए बांग्लाभाषी हिन्दुओं को नागरिकता दी गई तो संसाधनों का बँटवारा होगा। C C A से जुड़े विधेयक को संसद में 2019 में पारित किया था। राष्ट्रपति की मंज़ूरी भी मिल गई थी। इसके ज़रिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन संशोधन किया गया है। इसमें नागरिकता के लिए पात्रता मानदंडों में बदलाव किया गया है।