उत्तराखंड

उत्तराखण्ड की लोकविधाओं पर केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित

महिला उत्तरजन संस्था द्वारा उत्तराखण्ड की लोकविधाओं पर केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।

देहरादून 15 जून 2025: महिला उत्तरजन संस्था द्वारा आज महिलाओं द्वारा एक आई०एस०ची०टी० बाई पास स्थित संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में उत्तराखण्ड की लोकविधाओं पर केन्द्रित एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महिलाएँ संस्कृति की पोषक, संरक्षक और संवाहक हैं; यह बात इस कार्यक्रम से सत्य प्रतीत होती है कि इस कार्यक्रम को महिलाओं द्वारा ही तैयार किया गया।

इसमें अधिकतम कलाकार महिलाएँ ही हैं। यह एक सफल और शानदार प्रयोग है। जिसमें लगभग 35 महिला कलाकारों ने प्रतिभाग किया। इसका निर्देशन लोकगायिका अर्चना सती ने किया। कार्यक्रम का संचालन गढ़वाली कवयित्री अर्चना गौड़ द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सहसंयोजन कवि और प्रतिबद्ध रंगकर्मी मुकेश हटवाल ने किया। कार्यक्रम का सहनिर्देशन बीना वर्मा और युवा कवि सुधान कैंतुरा ने किया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ आयोजन की मुख्य अतिथि श्रीमती अनिता भारती (वरिष्ठ औषधि निरीक्षक), खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग (उत्तराखण्ड), श्रीमती अर्चना जी (सहायक निदेशक), सूचना विभाग, उत्तराखण्ड शामन. अतिथि श्रीमती रमा गोयल (प्रदेश अध्यक्ष महिला मोर्चा), इण्टरनेशनल वैश्य फैडरेशन, देहरादून तथा संस्था को अध्यक्ष श्रीमती बिमला रावत, कार्यक्रम निर्देशक अर्चना सती, कार्यक्रम के मुख्य संयोजक चन्द्रवीर गायत्री तथा संस्था के परामर्शदाता लोकेश नवानी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।

संस्था की अध्यक्ष श्रीमती बिमला रावत ने अतिथियों और दर्शकों का स्वागत करते हुए कहा कि संस्कृति मानव समाज की लोकरंजन की उन कलाओं का नाम है जो उसे खुशियाँ प्रदान करती है। यह मानवीय समाज की उस विरासत का नाम है जो हज़ारों साल के कालक्रम में बनती है।

यह कार्यक्रम मूल रूप से उत्तराखण्ड हिमालय की सांस्कृतिक विधाओं के प्रस्तुतिकरण का कार्यक्रम था जिसमें कुमाऊँ, गढ़वाल, भोटिया तथा जौनसार की पारंपरिक लोकविधाओं को प्रस्तुत किया गया। हिमालय में मानव हज़ारों साल से रहता आया है। नदियों, पर्वतों और वनों की बसावट के कारण वहां भाषाओं, संगीत और कलाओं में थोड़े बहुत अन्तर के साथ अनेक तरह की सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है। ये लोकरंजन की कलाएँ मनुष्य को सदैव आकर्षित करती हैं।

मुख्य अतिथि श्रीमती अनिता भारती ने अपने संबोधन में कहा कि हिमालय अपनी सांस्कृतिक विविधता से समृद्ध है। इसकी कलाएँ भी उतनी ही सुन्दर हैं जितनी दुनिया की किसी और संस्कृति की। उन्होंने कहा कि महिलाएँ इसका संरक्षण कर रही हैं यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है।

विशिष्ट अतिथि श्रीमती अर्चना जी ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृति जीवन का वह तत्त्व है जिससे हम अलग नहीं हो सकते। यदि हम उससे अलग होते हैं तो न केवल जीवन नीरस हो जाएगा बल्कि हम समारज से भी आइसोलेट हो जाएँगे। कलाएँ लीवन में रस घोलती हैं। उन्होंने शुभकामनाएँ देते हुए यह कहा कि महिलाएँ जीवन में तो रस घोलती हैं। संस्कृति में भी घोल रही हैं, यह एक बहुत ही शुभ संकेत है।

कार्यक्रम में अतिथि के रूप में श्रीमती रमा गोयल ने भी सभी कलाकारों को आशीर्वाद दिया और भविष्य में संस्था को सहयोग देने का वचन दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ गढ़वाली पारम्परिक माँगल ‘दैणा हुइंया खोली का गणेश’ की सुमधुर प्रस्तुति से हुआ। जिसे अर्चना सती तथा अन्य साथियों द्वारा सुमधुर स्वर में प्रस्तुत किया गया।

इसके पश्चात् तिब्बत के साथ व्यापार को दर्शाता लोकगीत ‘हुण देशा को होलु हुणइंया’ की प्रस्तुति झुमैलो, पौणा तथा चाचड़ी लोकनृत्यों के साथ भोटिया समुदाय की महिलाओं द्वारा दी गई जिसका निर्देशन विनीता पाल एवं मीनू द्वारा किया गया।

संस्कृति के विशिष्ट जीना नृत्य की भी मंच पर प्रस्तुत किया गया जिसमें उनकी टीम द्वारा जौनसारी लोकनृत्य तांदी की खूबसूरत प्रस्तुति दी गई। का के बाद करते हुए उत्तराखण्ड के विभिन्न समुदाय की महिलाओं द्वारा पारंपरिक कोप्रति दी गई जो शिव-पार्वती तथा माँ नन्हा को कैलाश यात्रा पर आधारित थे। अपर अतिथियों और प्रमुख व्यक्तियों को शात, पुष्पगुच्छ और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

इस कार्यक्रम में निम्न महत्वपूर्ण लोग उपस्थित रहे कलाकारों में मीनाक्षी सिंह, मधु रावत, माधुरी रावत, नीतू कण्डारी, ममता नौटियाल, सुनीता भण्डारी, भावना भण्डारी, गुंजन चमोली, एकता, शान्ति पंवार, अनिता कोटियाल, मधुबाला रावत, गंगोत्री, पुष्पा क्षेत्री, अजंलि थापा, बसंती राणा, सरस्वती भण्डारी, चंदा रावत, सोनी रावत, डॉ० शिवानी रावत, तनुजा राणा, सुमन राणा, वामिनी राणा, सरोज राणा, गणेश कांडपाल, भूपेन्द्र नेगी, पुष्पा भट्ट, मधु सेमवाल, मंजु भण्डारी, पूनम कोटियाल, सुनीता भण्डारी, पुष्पा जोशी, मीरा जोशी, नंदा बिष्ट एवं धना परगनाई लगभग 35 से अधिक महिलाओं ने प्रतिभाग लिया। संगीत संयोजन में की बोर्ड पर अनूप नेगी, तबले पर अजित रोडियाल और पैड पर गोविन्द ने शानदार संयोजन किया।

कार्यक्रम के अन्त में मुख्य संयोजक चन्द्रवीर गायत्री द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों, दर्शकों, पत्रकारों, सहयोगियों और सभी कलाकारों का धन्यवाद किया। अन्त में निर्देशक अर्चना सती और सहनिर्देशक बीना वर्मा द्वारा टीम का परिचय कराया गया। गढ़वाली कवयित्री अर्चना गौड़ का संचालन बहुत ही सधा हुआ और यादगार रहा।

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